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know symptoms and how to care – Good Health

Written by H@imanshu


World Autism Awareness Day 2021: ऑटिज्म एक ऐसी बीमारी है जो ज्‍यादातर बच्चों को होती है. इसका पता लगा पाना काफी मुश्किल होता है. बच्चा जब तक 2 या 3 साल का नहीं हो जाता ऑटिज्म के लक्षण (Symptoms) पता नहीं चलते हैं. बच्चों के व्यवहार, उनकी असामान्य प्रतिक्रिया और हाव-भाव से ही इस बीमारी (Disease) का पता चल सकता है. अगर आपका बच्चा अन्य बच्चों की तुलना में खामोश रहता है या फिर किसी भी बात पर प्रतिक्रिया देर से व्यक्त करता है, तो यह लक्षण ऑटिज्म की बीमारी के हो सकते हैं.

जानिए क्या है ऑटिज्म 
विशेषज्ञों की मानें तो ऑटिज्म एक मानसिक रोग है. इस रोग के शिकार ज्‍यादातर बच्‍चे होते हैं. इस बीमारी में बच्चे का मानसिक विकास पूरी तरह नहीं हो पाता और इसके लक्षण बच्चे में बचपन से ही दिखने लगते हैं. ऐसे बच्चों का विकास सामान्य बच्चों की तुलना में अलग होता है. साथ ही ऐसे बच्चे का सामाजिक व्यवहार प्रभावित होता है. इस बीमारी से जूझ रहे बच्चे अलग थलग रहते हैं और लोगों से घुलने-मिलने से बचते हैं. वे अपनी ही धुन में लगे रहते हैं और किसी बात पर प्रतिक्रिया देने में ज्‍यादा समय लगाते हैं. ऑटिज्‍म से ग्रस्‍त कुछ बच्चों में एक डर सा दिखाई देता है. आटिज्म से ग्रस्‍त बच्‍चे का मानसिक संतुलन संकुचित हो जाता है.

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यह बीमारी किन कारणों से होती है अभी तक यह पूरी तरह साफ नहीं है. कई बार यह जैनेटिक भी हो सकता है. तो कुछ मामलों में पूरी तरह पोषण न मिल पाने के कारण भी बच्चे ऑटिज्म का शिकार हो सकते हैं. माना जाता है कि लड़कों में ऑटिज्म का खतरा ज्‍यादा होता है.

साल 2011 के जनगणना के अनुसार भारत में 7,862, 921 बच्चे ऐसे थे, जो अक्षम थे. इनमें से 595, 089 बच्चे मानसिक रूप से अक्षम थे. एक अध्ययन के मुताबिक भारत में हर 66 बच्चों में से एक ऑटिज्म से पीड़ित है. पिछले एक दशक में भारत में ऑटिज्म से पीड़ितों की संख्या तेजी से बढ़ी है. ऑटिज्म से ग्रस्‍त बच्‍चों में ये लक्षण दिखाई दे सकते हैं-

– ऐसे बच्चों का विकास सामान्य बच्चों की तुलना में अलग होता है. वे लोगों से घुलने-मिलने से बचते हैं.
– ऐसे बच्‍चे किसी बात पर प्रतिक्रिया देने में ज्‍यादा समय लगाते हैं.
-इस बीमारी से पीड़ित बच्चे अपनी ही धुन में रहते हैं.
-बच्चे अक्सर अपने माता-पिता की बातों पर मुस्कुराकर या रोकर प्रतिक्रया व्यक्त करते हैं, लेकिन अगर बच्चा गुमसुम रहता है और लोगों से बात करने में कतराता है तो यह ऑटिज्म का एक लक्षण हो सकता है.
-ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को बोलने में भी परेशानी होती है. आम बोलचाल में भी उनकी जुबान लड़खड़ाती है.
-ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे हमेशा अपनी ही दुनिया में गुमसुम रहते हैं अपने आसपास के माहौल से वो कोई वास्ता नहीं रखते हैं.
-ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों का मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है. इसलिए वो रोजमर्रा के सामान्य काम भी ठीक से नहीं कर पाते.
-अगर 9 महीने के बाद भी आपका शिशु हंसता, मुस्कुराता या रोता नहीं है तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें. यह ऑटिज्म का एक लक्षण है.

बरतें ये सावधानियां
– अपने बच्‍चे के खानपान का ध्‍यान रखें.
– बच्‍चे को इससे उबारने के लिए सामाजिक मेल जोल का सहारा लें.
-अपने बच्चे के साथ ज्‍यादा समय बिताएं और उसे प्‍यार से समझाएं.
– ऐसे बच्चे को आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रेरित करें.

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ऐसे करें ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की देखभाल
ऑटिज्म पीड़ित बच्चों को आपके प्यार, दुलार और समय की जरूरत होती है. उन्हें धीरे-धीरे और प्यार से सामान्य कार्य व्यवहार की चीजें सिखाइए. ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को मोबाइल, टीवी और कंप्यूटर से दूर रखने का प्रयास करें. इसकी जगह उन्हें पज़ल गेम्स, क्यूब या कोई अन्य रचनात्मक खेल सिखाने की कोशिश करें. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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