गर्मी आते ही जंगल धधक उठे हैं। उत्तराखंड में पिछले 24 घंटों के दौरान 39 जगह आग लगने से 62 हेक्टेयर इलाका राख हुआ है, तो अब तक राज्य में कुल 1263 हेक्टेयर जंगल साफ हो चुके हैं। उधर, मध्य प्रदेश में बाघों के घर कहे जाने वाले बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में कई दिनों तक लगी रही आग से छह रेंज में भारी नुकसान हुआ है। इस गर्मियां शुरू होने से पहले ही वनाग्नि की घटनाएं होने से वन अधिकारी चिंतित हैं। उत्तराखंड और बांधवगढ़ के वन अधिकारियों के मुताबिक, चिंता की बात यह है कि ज्यादातर मामलों में जंगलों में आग लगने की वजह प्राकृतिक नहीं, बल्कि इंसानी गतिविधियां हैं।
उत्तराखंड में 1263 हेक्टेयर में जले पेड़
प्रदेश में वनाग्नि की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। वन विभाग की ओर से जारी बुलेटिन के मुताबिक पिछले 24 घंटे में ही वनाग्नि के 39 मामले सामने आए हैं। करीब 62 हेक्टेयर जंगल जला है और 93 हजार रुपये तक का नुकसान हुआ है।
उत्तराखंड: जंगल की आग ने लिया विकराल रूप, बुझाते वक्त झुलसे कई लोग, वन संपदा भी हुई राख, तस्वीरें…
प्रदेश में सर्दियों के मौसम से ही आग लगने का सिलसिला जारी है। एक अक्तूबर से लेकर दो अप्रैल तक ही जंगल की आग के 964 मामले सामने आ चुके हैं। करीब 1263 हेक्टेयर जंगल इससे प्रभावित हुआ है और कुल नुकसान भी बढ़कर 37 लाख से अधिक हो गया है। सर्दियों में ही वनाग्नि के मामले सामने आने से वन विभाग चिंतित भी हुआ था और अब वन विभाग की चिंता में और इजाफा हो गया है।
जंगल की आग की चपेट में आरक्षित वन क्षेत्र भी है और सिविल सोयम के वन भी। आरक्षित वन क्षेत्र में करीब 609 मामले सामने आए हैं। इसमें 805 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। गढ़वाल मंडल में 457 हेक्टेयर और कुमाऊं में 334 हेक्टेयर जला है। गढ़वाल मंडल में 23.24 लाख रुपये और कुमाऊं मंडल में करीब 14.34 लाख का नुकसान अब तक हो चुका है।
रविवार से बारिश का अनुमान, राहत की उम्मीद
जंगल की आग पर नियंत्रण पाने की कोशिश में अब भारतीय वन सर्वेक्षण ने मौसम का अपडेट भी जारी करना शुरू कर दिया है। इसी के तहत जारी अनुमान के मुताबिक चार अप्रैल को उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग में हल्की बारिश या बर्फबारी की संभावना है। पांच अप्रैल को राज्य के अधिकतर जिलों में बारिश हो सकती है और इसके बाद पूरे राज्य में हल्की बारिश की संभावना है।
जंगल की आग को लेकर वन विभाग सचेत है। मौसम बदलाव के कारण और बारिश न होने से अधिकांश मामले सामने आ रहे हैं। लोगों से भी अपील की जा रही है कि ऐसे काम न करें जिससे जंगल में आग लग।
– हरक सिंह, वन मंत्री
प्राकृतिक रूप से आग लगने के मामले न के बराबर
खास बात यह है कि प्रदेश में प्राकृतिक रूप से जंगल में आग लगने के मामले न के बराबर हैं। ऐसे में लोगों में जागरुकता पर अधिक जोर भी दिया जाता है। मुख्य वन संरक्षक आपदा एवं वनाग्नि प्रबंधन मान सिंह के मुताबिक जंगलों में जितनी अधिक आवाजाही होगी, आग के मामले इस शुष्क मौसम में उतने बढ़ेंगे।
देश के दो सर्वश्रेष्ठ वन्यजीव अभयारण्य में शुमार बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पांच दिनों तक जलता रहा और आधे से अधिक जंगल आग की चपेट में आ गया था। शुक्रवार शाम बड़ी मुश्किल से आग पर काबू पा लिया गया। हालांकि अभी भी ेकुछ जगहों पर आग भड़क रही है।
मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में आने वाले बांधवगढ़ के अधिकारियों के अनुसार, 29 मार्च को जब देश होली खेल रहा था, तो कुछ लोगों ने जंगलों में आग लगा दी। 700 वर्ग किलोमीटर के रिजर्व वन में से 400 वर्ग किलोमीटर आग की चपेट में आ गया। टाइगर रिजर्व की नौ रेंज में आग लगी थी। अधिकारियों का दावा है, वन्य प्राणियों को नुकसान नहीं हुआ, पर यह सुनियोजित साजिश थी। स्वत: लगने वाली आग आमतौर पर मई या जून की गर्मियों में लगती है। और वह भी एक या दो जगह ही। लेकिन पूरे वन्यजीव अभ्यारण्य में आग लगना दुर्घटना नहीं बल्कि सुनियोजित साजिश है। पिछले वर्ष गणना में बांधवगढ़ में 104 बाघ पाए गए थे।
होटल मालिकाें व ग्रामीणों पर शक
वन्य अधिकारियों के अनुसार, शक की सुई दो तरह के लोगों की ओर है। एक वे जिन्होंने वर्षों पहले अभ्यारण्य की जमीन पर होटल या लॉज बना लिए लेकिन बिजली कनेक्शन न हाेने से पर्यटक नहीं मिल रहे। दूसरे वे ग्रामीण हैं जिनके आसपास के खेेतों को छत्तीसगढ़ से आए हाथियों ने नुकसान पहुंचाया था।
जांच के आदेश…केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने जांच के आदेश दिए हैं। मंत्रालय का मानना है कि यह देश के सर्वश्रेष्ठ अभयारण्य को जानबूझकर नष्ट करने का षड्यंत्र है।
विस्तार
गर्मी आते ही जंगल धधक उठे हैं। उत्तराखंड में पिछले 24 घंटों के दौरान 39 जगह आग लगने से 62 हेक्टेयर इलाका राख हुआ है, तो अब तक राज्य में कुल 1263 हेक्टेयर जंगल साफ हो चुके हैं। उधर, मध्य प्रदेश में बाघों के घर कहे जाने वाले बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में कई दिनों तक लगी रही आग से छह रेंज में भारी नुकसान हुआ है। इस गर्मियां शुरू होने से पहले ही वनाग्नि की घटनाएं होने से वन अधिकारी चिंतित हैं। उत्तराखंड और बांधवगढ़ के वन अधिकारियों के मुताबिक, चिंता की बात यह है कि ज्यादातर मामलों में जंगलों में आग लगने की वजह प्राकृतिक नहीं, बल्कि इंसानी गतिविधियां हैं।
उत्तराखंड में 1263 हेक्टेयर में जले पेड़
प्रदेश में वनाग्नि की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। वन विभाग की ओर से जारी बुलेटिन के मुताबिक पिछले 24 घंटे में ही वनाग्नि के 39 मामले सामने आए हैं। करीब 62 हेक्टेयर जंगल जला है और 93 हजार रुपये तक का नुकसान हुआ है।
उत्तराखंड: जंगल की आग ने लिया विकराल रूप, बुझाते वक्त झुलसे कई लोग, वन संपदा भी हुई राख, तस्वीरें…
प्रदेश में सर्दियों के मौसम से ही आग लगने का सिलसिला जारी है। एक अक्तूबर से लेकर दो अप्रैल तक ही जंगल की आग के 964 मामले सामने आ चुके हैं। करीब 1263 हेक्टेयर जंगल इससे प्रभावित हुआ है और कुल नुकसान भी बढ़कर 37 लाख से अधिक हो गया है। सर्दियों में ही वनाग्नि के मामले सामने आने से वन विभाग चिंतित भी हुआ था और अब वन विभाग की चिंता में और इजाफा हो गया है।
जंगल की आग की चपेट में आरक्षित वन क्षेत्र भी है और सिविल सोयम के वन भी। आरक्षित वन क्षेत्र में करीब 609 मामले सामने आए हैं। इसमें 805 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। गढ़वाल मंडल में 457 हेक्टेयर और कुमाऊं में 334 हेक्टेयर जला है। गढ़वाल मंडल में 23.24 लाख रुपये और कुमाऊं मंडल में करीब 14.34 लाख का नुकसान अब तक हो चुका है।
रविवार से बारिश का अनुमान, राहत की उम्मीद
जंगल की आग पर नियंत्रण पाने की कोशिश में अब भारतीय वन सर्वेक्षण ने मौसम का अपडेट भी जारी करना शुरू कर दिया है। इसी के तहत जारी अनुमान के मुताबिक चार अप्रैल को उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग में हल्की बारिश या बर्फबारी की संभावना है। पांच अप्रैल को राज्य के अधिकतर जिलों में बारिश हो सकती है और इसके बाद पूरे राज्य में हल्की बारिश की संभावना है।
जंगल की आग को लेकर वन विभाग सचेत है। मौसम बदलाव के कारण और बारिश न होने से अधिकांश मामले सामने आ रहे हैं। लोगों से भी अपील की जा रही है कि ऐसे काम न करें जिससे जंगल में आग लग।
– हरक सिंह, वन मंत्री
प्राकृतिक रूप से आग लगने के मामले न के बराबर
खास बात यह है कि प्रदेश में प्राकृतिक रूप से जंगल में आग लगने के मामले न के बराबर हैं। ऐसे में लोगों में जागरुकता पर अधिक जोर भी दिया जाता है। मुख्य वन संरक्षक आपदा एवं वनाग्नि प्रबंधन मान सिंह के मुताबिक जंगलों में जितनी अधिक आवाजाही होगी, आग के मामले इस शुष्क मौसम में उतने बढ़ेंगे।
बांधवगढ़ : आधे से अधिक जंगल तबाह
देश के दो सर्वश्रेष्ठ वन्यजीव अभयारण्य में शुमार बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पांच दिनों तक जलता रहा और आधे से अधिक जंगल आग की चपेट में आ गया था। शुक्रवार शाम बड़ी मुश्किल से आग पर काबू पा लिया गया। हालांकि अभी भी ेकुछ जगहों पर आग भड़क रही है।
मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में आने वाले बांधवगढ़ के अधिकारियों के अनुसार, 29 मार्च को जब देश होली खेल रहा था, तो कुछ लोगों ने जंगलों में आग लगा दी। 700 वर्ग किलोमीटर के रिजर्व वन में से 400 वर्ग किलोमीटर आग की चपेट में आ गया। टाइगर रिजर्व की नौ रेंज में आग लगी थी। अधिकारियों का दावा है, वन्य प्राणियों को नुकसान नहीं हुआ, पर यह सुनियोजित साजिश थी। स्वत: लगने वाली आग आमतौर पर मई या जून की गर्मियों में लगती है। और वह भी एक या दो जगह ही। लेकिन पूरे वन्यजीव अभ्यारण्य में आग लगना दुर्घटना नहीं बल्कि सुनियोजित साजिश है। पिछले वर्ष गणना में बांधवगढ़ में 104 बाघ पाए गए थे।
होटल मालिकाें व ग्रामीणों पर शक
वन्य अधिकारियों के अनुसार, शक की सुई दो तरह के लोगों की ओर है। एक वे जिन्होंने वर्षों पहले अभ्यारण्य की जमीन पर होटल या लॉज बना लिए लेकिन बिजली कनेक्शन न हाेने से पर्यटक नहीं मिल रहे। दूसरे वे ग्रामीण हैं जिनके आसपास के खेेतों को छत्तीसगढ़ से आए हाथियों ने नुकसान पहुंचाया था।
जांच के आदेश…केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने जांच के आदेश दिए हैं। मंत्रालय का मानना है कि यह देश के सर्वश्रेष्ठ अभयारण्य को जानबूझकर नष्ट करने का षड्यंत्र है।