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- लाल और हरे रंग में अंतर न करने वाले रोगियों के लिए वैज्ञानिकों द्वारा बनाए गए लेंस इन रंगों को पहचानने में मदद करेंगे।
3 दिन पहले
- प्रतिरूप जोड़ना

- ब्रिटेन और संयुक्त अरब अमीरात के वैज्ञानिकों ने मिलकर लेंस बनाए
- कहते हैं; लेंस में मौजूद सोने के नैनोपार्टिकल्स लाल-हरे रंग की पहचान करने में मदद करेंगे
संयुक्त अरब अमीरात और ग्रेट ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने कलर ब्लाइंडनेस वाले मरीजों के लिए कॉन्टैक्ट लेंस डिजाइन किए हैं। कलर ब्लाइंड मरीज लाल और हरे रंग में अंतर नहीं कर सकते। नया लेंस रोगी को लाल और हरे रंग में अंतर करने में बहुत मदद करेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि लेंस में सोने के नैनोकणों का इस्तेमाल किया गया है। लाल और हरे रंग की पहचान करने में मदद करता है।
जल्द ही क्लीनिकल ट्रायल शुरू होगा
अबू धाबी में खलीफा विश्वविद्यालय के एक मैकेनिकल इंजीनियर अहमद सलीह का कहना है कि रंगीन नेत्रहीन मरीज लाल कांच के गिलास पहनते हैं ताकि वे थोड़ा हल्का दिख सकें। इस बीमारी का अब तक कोई इलाज नहीं होने से ये लेंस कारगर साबित हो सकते हैं। इन्हें आसानी से लगाया जा सकता है।
कलर ब्लाइंडनेस क्या है?
यह समस्या रंग अंधापन वाले रोगियों में जन्मजात है। कि वे पीढ़ी से पीढ़ी तक परिवार के सदस्य हो सकते हैं। उनके मामले 8% पुरुषों और 0.5% महिलाओं में देखे गए हैं। अभी तक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं खोजा गया है।
गैर-लामिना रसायन
एसीएस नैनो जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, लेंस में आंखों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी रसायन का इस्तेमाल नहीं किया गया है। यह मिश्रित सोने के नैनोकणों का उपयोग करता है जो विषाक्त नहीं हैं।