वाराणसी की हवा में चेन्नई से 25% ज्यादा आर्द्रता, राहत कब होगी?

वाराणसी की हवा में चेन्नई से 25% ज्यादा आर्द्रता, राहत कब होगी?
Priya Sahani अक्तू॰, 21 2025

जब वाराणसी के मौसम वैज्ञानिक हाल के डेटा का विश्लेषण करते हैं, तो पता चलता है कि यहाँ की हवा में आर्द्रता चेन्नई की तुलना में लगभग 25% अधिक है। इस असामान्य अंतर ने यात्रा योजनाकारों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और स्थानीय निवासियों का ध्यान खींचा है, खासकर क्योंकि वसंत‑गर्मियों के शुरुआती दिनों में राहत का इंतजार सबसे बड़ा सवाल बन गया है। यह रिपोर्ट 26 सितंबर 2025 को अमर उजाला ने प्रकाशित की थी, और आगे के महीनों में सुधार कब आएगा, इस पर कई आँकड़े और विशेषज्ञ राय सामने आए हैं।

पृष्ठभूमि और मौसमी बदलाव

भारत में मौसमी पैटर्न बहुत जटिल होते हैं। उत्तर के गंगान्तरित क्षेत्र, जहाँ वाराणसी स्थित है, गर्मियों में धूप और आर्द्रता दोनों का मिश्रण देखता है, जबकि दक्षिणी तट के शहर चेन्नई में साल भर उच्च आर्द्रता रहती है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), जिसका मुख्यालय पुना में है, ने पिछले दशक में इन दो शहरों के बीच नमी के अंतर को लगातार ट्रैक किया है।

वर्तमान आर्द्रता स्थिति

CEIC (Center for Economic Information and Communication) द्वारा संकलित नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि वाराणसी में सितंबर के मध्य में औसत आर्द्रता लगभग 78% तक पहुँच जाती है। वही अवधि में चेन्नई की औसत आर्द्रता लगभग 62% रही, जिससे वाराणसी की हवा में नमी का स्तर 25% अधिक हो गया। Sunheron की मौसम रिपोर्ट के अनुसार यह स्तर ‘काफी ऊपर औसत’ माना गया, लेकिन असहजता का मुख्य कारण संवेदनशील रोगियों और वृद्ध नागरिकों के स्वास्थ्य पर पड़ता है।

मुख्य शहरों की तुलना और आँकड़े

  • वाराणसी – औसत आर्द्रता 78% (सितंबर 2025)
  • चेन्नई – औसत आर्द्रता 62% (सितंबर 2025)
  • रांची – डिपार्चर (वर्तमान) 10.0% (16 मे 2025), ऐतिहासिक औसत 4.0% (2009‑2025)
  • डेल्ही – मई‑जून में 70‑75% के बीच नमी दिखी

इन सूचियों से स्पष्ट होता है कि वाराणसी सिर्फ चेन्नई से आगे नहीं, बल्कि कई उत्तरी शहरों की तुलना में भी अधिक नमी से जूझ रहा है। Ranchi का डेटा, जो IMD पुणे ने रिकॉर्ड किया, दिखाता है कि नमी के उतार‑चढ़ाव का पैटर्न पूरे देश में भिन्न‑भिन्न है, और यह बदलाव अक्सर मॉन्सून की शुरुआत के साथ तेज़ हो जाता है।

स्थानीय प्रभाव और विशेषज्ञ राय

स्थानीय प्रभाव और विशेषज्ञ राय

स्थानीय डॉक्टरों का कहना है कि उच्च आर्द्रता के कारण फेफड़े‑संबंधी रोगों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। “जब हवा में नमी अधिक होती है, तो रोगाणु और एलर्जी वाले कण आसानी से फैलते हैं,” वे बताते हैं। एक पोषण विशेषज्ञ ने जोड़ते हुए कहा कि अत्यधिक नमी के समय में हाइड्रेशन पर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि पसीने के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स भी बाहर निकलते हैं।

विपरीत रूप में, चेन्नई में नमी के स्तर को आम तौर पर “सदाबहार” माना जाता है, इसलिए यहाँ के लोग पहले से ही इन परिस्थितियों के अनुकूल रहने के तरीकों से परिचित हैं। वहीं, वाराणसी के कई निवासी नई जलवायु रणनीतियों की तलाश में हैं – जैसे कि घर में डिह्यूमिडिफ़ायर लगाना या शाम के समय खुली हवा में व्यायाम करने से बचना।

आगे के महीनों में क्या उम्मीद रखें?

IMD के विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि अक्टूबर‑नवंबर के दौरान वाराणसी में नमी धीरे‑धीरे घटेगी, क्योंकि इस दौरान मॉन्सून की बारिश कम होती है और तापमान भी घटता है। अक्टूबर में औसत तापमान 26°C के आसपास रहता है, और वायु में ‘हल्की हवा’ (विंड स्केल 1) दर्ज की गई है, जैसा कि Sunheron ने बताया। पिछले वर्षों की तुलना में इस अवधि में आर्द्रता 60‑65% के बीच स्थिर रहती है।

अंत में कहा जा सकता है कि यदि आप इस साल गर्मी से बचना चाहते हैं, तो अक्टूबर‑मार्च का दौर सबसे उपयुक्त रहेगा। इस अवधि में न केवल तापमान मध्यम होता है, बल्कि नमी में भी उल्लेखनीय गिरावट आती है, जिससे बाहरी गतिविधियों में आराम मिलता है।

निष्कर्ष: क्यों यह जानकारी महत्वपूर्ण है?

निष्कर्ष: क्यों यह जानकारी महत्वपूर्ण है?

वाराणसी की नमी में इस अनोखे अंतर के कई पहलू हैं – स्वास्थ्य, यात्रा, कृषि और यहाँ तक कि ऊर्जा खपत पर भी प्रभाव डालता है। जलवायु विज्ञानियों का मानना है कि इन आँकड़ों को समझकर नगर नियोजन और सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को बेहतर बनाया जा सकता है। अब सवाल यही है – क्या सरकार और स्थानीय प्रशासन इन डेटा को व्यवस्थित रूप से उपयोग में लाएँगे, ताकि नागरिकों को उचित चेतावनी और राहत उपाय प्रदान किए जा सकें?

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

वाराणसी में वर्तमान आर्द्रता स्तर कितनी है?

Sunheron के अनुसार, सितम्बर 2025 में वाराणसी की औसत आर्द्रता लगभग 78% दर्ज की गई है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है।

क्या चेन्नई की तुलना में वाराणसी में अधिक नमी स्वास्थ्य पर असर डालती है?

हाँ। उच्च आर्द्रता फेफड़े‑संबंधी रोग, एलर्जी और त्वचा की समस्या को बढ़ा सकती है, इसलिए डॉक्टरों ने सावधानी बरतने की सलाह दी है।

आगामी महीनों में आर्द्रता में कमी कब तक अपेक्षित है?

IMD के अनुसार, अक्टूबर‑नवंबर में नमी धीरे‑धीरे घटेगी और 60‑65% के स्तर पर स्थिर रहेगी, जिससे गर्मी से राहत मिलने की संभावना बढ़ती है।

वाराणसी की नमी में अंतर का मुख्य कारण क्या है?

गंगान्तरित मैदान की भौगोलिक स्थिति और मानसून के शुरुआती महीनों में सीमित वर्षा, वाराणसी की हवा को अधिक नमी वाला बनाते हैं, जबकि दक्षिणी समुद्री हवाओं का प्रभाव चेन्नई में अलग रहता है।

क्या स्थानीय प्रशासन इस समस्या के समाधान के लिए कोई कदम उठा रहा है?

अभी तक कोई व्यापक योजना सार्वजनिक नहीं हुई है, पर मौसम विभाग के विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि चेतावनी प्रणाली और सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों को तेज़ किया जाए।