दिल्ली के चंदनी चौक में लाल किले से सिर्फ 200 मीटर की दूरी पर रात 6:45 बजे हुए कार विस्फोट ने पूरे देश को हिला दिया। 12 लोगों की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोग घायल। और ये सिर्फ एक दुर्घटना नहीं थी — ये एक ठाठ से तैयार किया गया षड्यंत्र था। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूटान की राजधानी थिम्फू में राजा जिगमे सिंगे वांगचुक के 70वें जन्मदिन के उत्सव में शामिल हो रहे थे, तो उन्होंने अपने भाषण में एक बार फिर साफ कर दिया: "षड्यंत्रकारियों को नहीं बख्शा जाएगा।" ये बयान बस एक राजनीतिक धमकी नहीं था — ये एक अंधेरी रात के बाद जागृत नेतृत्व का निशान था।
रात भर जागकर निगरानी की
मोदी ने बताया कि विस्फोट के बाद उन्होंने रात भर नींद नहीं ली। दिल्ली पुलिस, नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA), और नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) के साथ लगातार संपर्क बनाए रखा। "हर जानकारी का तार जुड़ रहा था," उन्होंने कहा। ये बात अहम है — एक प्रधानमंत्री जो विदेश में हैं, अपने देश के आतंकवादी हमले की जांच में रात भर जागे रहे। ये नियंत्रण का संकेत है। और ये संकेत सिर्फ भारतीयों के लिए नहीं, दुनिया के लिए भी है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी गर्दन झुकाने को तैयार नहीं है।
फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल के साथ जुड़ाव की जांच
जांच अभी एक विशिष्ट दिशा में चल रही है — फरीदाबाद आतंकवादी मॉड्यूल। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और NIA की टीमें इसी नेटवर्क के साथ जुड़े कुछ संदिग्धों को हिरासत में ले चुकी हैं। राजस्थान के एक स्रोत के अनुसार, इनमें से कुछ लोग पहले ही फरीदाबाद में एक बम निर्माण केंद्र के साथ जुड़े हुए थे। लेकिन सबसे अहम खुलासा जम्मू-कश्मीर से आया है। जहां एक अनसुलझा मामला अचानक इस विस्फोट के साथ जुड़ गया है। ये नया संकेत एक बड़ी योजना की ओर इशारा करता है — जहां दिल्ली का लाल किला सिर्फ एक लक्ष्य नहीं, बल्कि एक संदेश था।
एक ऐतिहासिक स्थान पर हमला: क्यों लाल किला?
लाल किला के पास विस्फोट करना सिर्फ नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं था। ये एक भावनात्मक और राष्ट्रीय प्रतीक पर हमला था। ये वही जगह है जहां भारत के आजादी के बाद पहली बार प्रधानमंत्री ने आजादी का झंडा फहराया। ये वही जगह है जहां दुनिया भर के पर्यटक आते हैं। ये वही जगह है जहां भारत की सुरक्षा की बात करने वाले लोग अक्सर कहते हैं — "यहां तो बच्चे भी सुरक्षित हैं।" इसलिए ये हमला इतना डरावना है। ये एक विश्वास को तोड़ रहा है — कि कुछ जगहें अछूती हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की आपात बैठक
विस्फोट के बाद ही गृह मंत्री अमित शाह ने एक आपात बैठक बुलाई। नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की ये बैठक नवंबर 11, 2025 को शाम को हुई। इसमें सभी सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुख शामिल हुए। एक अधिकारी ने बताया कि अब से दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। NSG टीमों को दिल्ली के अलावा अयोध्या, अहमदाबाद और बेंगलुरु में भी तैनात किया गया है। ये बात बहुत स्पष्ट है — जब एक आतंकी हमला होता है, तो भारत की प्रतिक्रिया तुरंत और व्यापक होती है।
क्या ये भूटान के दौरे का हिस्सा है?
ये एक अजीब सा तालमेल है। एक ओर भारत के दिल में आग लगी है। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री भूटान में एक शांत, सांस्कृतिक उत्सव में शामिल हैं। लेकिन यही तो अहम है। मोदी ने भूटान के राजा के जन्मदिन के बारे में नहीं, बल्कि दिल्ली के विस्फोट के बारे में बात की। ये एक चुनौती है — जब आप दुनिया के सामने हैं, तो आपकी आंतरिक चिंताएं भी आपकी बाहरी उपस्थिति का हिस्सा बन जाती हैं। ये एक संदेश है: भारत के लिए घर की सुरक्षा विदेशी नीति से ज्यादा अहम है।
आतंकवाद का नया रूप: छोटी टीम, बड़ा असर
पिछले कुछ सालों में आतंकवाद का रूप बदल गया है। बड़े संगठनों की जगह अब छोटी, अलग-अलग टीमें काम कर रही हैं। फरीदाबाद मॉड्यूल इसी का एक उदाहरण है — जहां तीन-चार लोग एक बम बनाते हैं, एक कार में लाते हैं, और फिर गायब हो जाते हैं। इनकी जांच में बड़ी चुनौती ये है कि वे इंटरनेट के जरिए जुड़े होते हैं। कोई फोन नहीं, कोई लिखित निर्देश नहीं। बस एक वॉट्सएप ग्रुप, एक ब्लैक मार्केट से बम के सामान, और एक निश्चित लक्ष्य। ये नया खतरा है। और इसका सामना करने के लिए पुरानी तकनीकें काफी नहीं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
कार विस्फोट के बाद दिल्ली में सुरक्षा क्या बदली गई है?
दिल्ली पुलिस ने लाल किले और चंदनी चौक के आसपास के सभी वाहनों के लिए जांच बढ़ा दी है। सभी पार्किंग स्थलों पर CCTV कैमरों की संख्या दोगुनी कर दी गई है। NSG टीमों को शहर के चारों ओर तैनात किया गया है। विशेष रूप से ऐतिहासिक स्थलों के आसपास अब निरंतर रात्रि निगरानी की जा रही है।
फरीदाबाद मॉड्यूल क्या है और यह पहले कब सामने आया था?
फरीदाबाद मॉड्यूल एक छोटा, गुप्त आतंकवादी नेटवर्क है जिसे पिछले दो सालों में NIA ने पहचाना है। इसके सदस्य बम बनाने और छोटे हमलों की योजना बनाने में निपुण हैं। इसका पहला उल्लेख 2023 में एक नोएडा में हुए असफल बम विस्फोट के बाद हुआ था। इस बार यह पहली बार इतना बड़ा हमला कर रहा है।
जम्मू-कश्मीर से कौन सा संकेत आया है?
जम्मू-कश्मीर के एक अखबार के स्रोत के अनुसार, एक आतंकवादी जिसे पिछले साल गिरफ्तार किया गया था, उसके फोन पर चंदनी चौक के लिए एक विशेष मैप और विस्फोट के समय का निर्देश मिला है। यह मैप फरीदाबाद के एक सदस्य के हाथों में था। यह संकेत एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की ओर इशारा करता है।
क्या प्रधानमंत्री ने भूटान के राजा को इस बारे में बताया?
हां, मोदी ने राजा जिगमे सिंगे वांगचुक के साथ एक निजी बैठक में इस घटना का जिक्र किया। भूटान के विदेश मंत्री ने बाद में कहा कि भूटान भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है। यह भारत के लिए एक राजनीतिक लाभ भी है।
इस घटना ने भारत की आंतरिक सुरक्षा नीति को कैसे बदल सकती है?
यह घटना भारत को छोटे आतंकवादी नेटवर्कों के खिलाफ डिजिटल निगरानी और डेटा शेयरिंग पर जोर देने के लिए मजबूर कर रही है। अब शायद एक नया डिजिटल एंटी-टेरर अभियान शुरू होगा, जिसमें एजेंसियों के बीच रियल-टाइम डेटा साझा किया जाएगा। यह एक बड़ा सुधार हो सकता है।
क्या इस विस्फोट का कोई राजनीतिक लाभ हो सकता है?
कुछ विश्लेषक मानते हैं कि इस घटना से आतंकवाद के खिलाफ भारत की ताकत दिखाई जा सकती है। लेकिन इसका असली लाभ यह है कि देश के लोग एक हो गए हैं — गुस्सा, शोक और एकता का एक अनूठा संयोजन। यह राजनीति नहीं, इंसानियत की जीत है।