दिल्ली में बारिश बनाने के लिए बादल बीजन का प्रयोग, AQI अभी भी 'बहुत खराब'

दिल्ली में बारिश बनाने के लिए बादल बीजन का प्रयोग, AQI अभी भी 'बहुत खराब'
Priya Sahani अक्तू॰, 28 2025

दिल्ली की हवा अभी भी फुफ्फुसों को जला रही है—और सरकार ने आकाश को बदलने की कोशिश की। 28 अक्टूबर, 2025 को दिल्ली सरकार और IIT कानपुर ने मिलकर बादल बीजन के दो प्रयोग किए, ताकि शहर के विषैले हवा के स्तर को कम किया जा सके। प्रयोग के दौरान कानपुर और मेरठ के हवाई अड्डों से दो सीसना विमान उड़े, जिनमें नमक और सिल्वर आयोडाइड के फ्लेयर लगे थे। कुल 14 फ्लेयर छोड़े गए, जिन्होंने बुरारी, उत्तर करोल बाग और मयूर विहार जैसे भागों को कवर किया। लेकिन शाम तक कोई बारिश नहीं हुई।

क्यों बादल बीजन? दिल्ली की हवा अब खतरनाक है

दिल्ली का हवा गुणवत्ता सूचकांक (AQI) उस दिन ‘बहुत खराब’ श्रेणी में था—300 से अधिक। ऐसी हवा में सांस लेना दर्द बन जाता है। बच्चे, बुजुर्ग और दमा या एलर्जी से पीड़ित लोग घरों में बंद हो गए। सरकार ने अब तक गाड़ियों को रोकना, ईंटों के कारखानों को बंद करना, और खेतों में खलिहान जलाने पर प्रतिबंध लगाना जैसे उपाय किए हैं। लेकिन अब बादलों को भी बुलाने की कोशिश कर रही है।

कैसे काम करता है बादल बीजन?

बादल बीजन का मतलब है—बादलों में ऐसे कण फेंकना जो जल के बूंदों को बनने में मदद करें। यहां इस्तेमाल किए गए फ्लेयर में नमक और सिल्वर आयोडाइड हैं, जो बादलों के भीतर नमी को जमा करके बारिश के लिए तैयार करते हैं। यह तकनीक अमेरिका, चीन और दुबई जैसे देशों में पहले से इस्तेमाल हो रही है। लेकिन भारत में इसे शहरी प्रदूषण के लिए इस्तेमाल करना नया है।

पिछले प्रयोग और आज का फैसला

दिल्ली में यह तीसरा बादल बीजन प्रयोग है। पहला 1957 में हुआ था, दूसरा 1970 के शुरुआत में। इसके बाद 53 साल तक कोई प्रयास नहीं हुआ। अब, दिल्ली सरकार ने 7 मई, 2025 को इस योजना को मंजूरी दी और पांच प्रयोगों के लिए 3.21 करोड़ रुपये का बजट जारी किया। यह सिर्फ एक आजमायश नहीं—यह भविष्य की नीति का आधार हो सकता है।

क्या सफलता मिली?

मनींद्र अग्रवाल, IIT कानपुर के निदेशक, ने NDTV को बताया: "हमने दो उड़ानें कीं—एक दोपहर को, एक शाम को। 14 फ्लेयर छोड़े। विमान मेरठ लौट आया। अभी तक कोई बारिश नहीं हुई। इस अर्थ में यह पूरी तरह सफल नहीं हुआ।"

लेकिन उन्होंने यह भी कहा: "हमें यकीन है कि हम फिर कोशिश कर सकते हैं। कल फिर उड़ान भरेंगे।" वैज्ञानिकों का कहना है कि बारिश के लिए बादलों की उपलब्धता भी जरूरी है। अगर बादल ही नहीं हैं, तो फ्लेयर भी काम नहीं करते।

क्या यह लंबे समय तक चलेगा?

क्या यह लंबे समय तक चलेगा?

कुछ विशेषज्ञ संदेह व्यक्त कर रहे हैं। भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) के मौसम वैज्ञानिक रोक्सी मैथ्यू कोल ने कहा, "बारिश का एक बार हो जाना प्रदूषण को स्थायी रूप से कम नहीं करेगा। यह एक आपातकालीन उपाय है।"

दूसरी ओर, मंजींदर सिंह सिरसा, पर्यावरण मंत्री, ने कहा कि यह तकनीक अगले सर्दियों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की जा सकती है। उनका तर्क है: अगर एक बार बारिश हो जाए, तो PM2.5 कण जमीन पर गिर जाते हैं। और वायु का स्तर 24-48 घंटे तक सुधरता है।

अगले कदम क्या हैं?

29 अक्टूबर को तीसरी उड़ान की योजना है। अगर यह भी असफल रही, तो सरकार अगले दिन फिर कोशिश करेगी। अधिकारियों का कहना है कि वे 5 प्रयोगों के लिए तैयार हैं। इसके बाद एक विशेषज्ञ समिति निष्कर्ष निकालेगी।

क्या यह अन्य शहरों के लिए एक मॉडल बन सकता है?

हां। अगर यह दिल्ली में काम कर गया, तो लखनऊ, कोलकाता, और भोपाल जैसे शहर भी इसे अपना सकते हैं। लेकिन इसके लिए आसमान के बादलों की निगरानी के लिए अतिरिक्त रडार और डेटा सिस्टम की जरूरत होगी। इसलिए अगले दो महीने यह तय करेंगे कि यह तकनीक सिर्फ एक नाटकीय प्रदर्शन है, या वास्तविक वायु शुद्धि का एक नया टूल।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बादल बीजन से बारिश कैसे होती है?

बादल बीजन में हवा में नमक या सिल्वर आयोडाइड के कण छोड़े जाते हैं, जो बादलों के भीतर जल की बूंदों को जमाने में मदद करते हैं। जब ये बूंदें भारी हो जाती हैं, तो वे बारिश के रूप में नीचे आ जाती हैं। यह तकनीक तभी काम करती है जब बादलों में पर्याप्त नमी हो।

इस प्रयोग का खर्च कितना है और क्यों इतना ज्यादा?

दिल्ली सरकार ने पांच प्रयोगों के लिए 3.21 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इसमें विमान किराया, फ्लेयर, वैज्ञानिक टीम, और डेटा विश्लेषण शामिल है। यह खर्च उच्च है क्योंकि बादल बीजन तकनीक अभी भारत में अनुभवहीन है, और इसमें विशेष उपकरणों और एयर लाइसेंस की आवश्यकता होती है।

क्या यह बारिश खेतों के लिए फायदेमंद होगी?

नहीं। यह बारिश शहरी प्रदूषण के लिए डिज़ाइन की गई है, न कि कृषि के लिए। यह बारिश छोटे क्षेत्रों में होती है, और इसकी मात्रा खेतों के लिए पर्याप्त नहीं होती। इसका उद्देश्य हवा में धूल और कणों को धोना है, न कि भूमि को सींचना।

क्या बादल बीजन पर्यावरण के लिए खतरनाक है?

वैज्ञानिकों के अनुसार, इस्तेमाल किए जाने वाले सिल्वर आयोडाइड की मात्रा इतनी कम है कि यह पानी या मिट्टी में जमा नहीं होता। अमेरिकी वायु और जल बोर्ड ने भी इसे सुरक्षित माना है। लेकिन लंबे समय तक इसके प्रभाव का अध्ययन अभी तक नहीं हुआ है।

क्या यह तकनीक दिल्ली के प्रदूषण को स्थायी रूप से कम करेगी?

नहीं। बारिश केवल अस्थायी राहत देती है। प्रदूषण के मुख्य कारण—कारों की धुआं, ईंटों के कारखाने, खेतों में खलिहान जलाना—इसे नहीं रोकते। बादल बीजन केवल एक आपातकालीन उपाय है, जैसे बुखार में बुखार कम करने की गोली। इलाज नहीं।

अगली बारिश कब तक उम्मीद करनी चाहिए?

अगर 29 अक्टूबर को भी बारिश नहीं हुई, तो सरकार 30 अक्टूबर या 31 अक्टूबर को फिर कोशिश करेगी। लेकिन अगर आसमान में बादल ही नहीं हैं, तो कोई फ्लेयर काम नहीं करेगा। वैज्ञानिक बता रहे हैं कि अगले 72 घंटे में मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार बादलों की संभावना है।