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३१ मिनट पहले
- प्रतिरूप जोड़ना
- इंग्लैंड के अलबामा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा
वैज्ञानिकों ने कोरोना की तीसरी लहर के आगमन की धमकी दी। सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को बताया जाता है। इस बीच, इंग्लैंड में वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध चौंकाने वाले हैं। शोध में कहा गया है कि कोरोना से संक्रमित ज्यादातर बच्चों में कोविड-19 के लक्षण नहीं दिखते।
0 से 18 साल के 12,300 बच्चों पर हुए शोध में ये आंकड़े सामने आए हैं। इन सकारात्मक बच्चों में से 75% में बुखार, खांसी और सांस की तकलीफ जैसे कोई लक्षण नहीं होते हैं।
यूके के अलबामा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने जांच की और कहा कि बच्चों को किशोरों की तुलना में कोरोना से संक्रमित होने की 3 गुना अधिक संभावना है।
उल्टी, त्वचा पर चकत्ते और सिरदर्द जैसे लक्षण भी देखे जाते हैं।
शोध में शामिल बच्चों की जांच कोरोना से की गई, तब केवल 25 प्रतिशत बच्चों में लक्षण दिखाई दिए। इनमें से, 18 प्रतिशत में बुखार, मांसपेशियों में दर्द, स्वाद या गंध की अक्षमता जैसे लक्षण थे। वहीं 16.5 फीसदी खांसी और 13.5 फीसदी उल्टी जैसी समस्याओं को लेकर चिंतित रहे। इसके अतिरिक्त, 8.1 प्रतिशत ने त्वचा पर चकत्ते और 4.8 प्रतिशत सिर दर्द की सूचना दी। कुल 672 मरीज अस्पताल में भर्ती थे।
ये लक्षण आम हैं
शोधकर्ताओं के अनुसार, बच्चों को दो समूहों में बांटा गया था। पहले समूह में वे बच्चे शामिल थे जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और दूसरे समूह में संक्रमित बच्चे शामिल थे जिन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं होना था। दोनों समूहों में बच्चों में मांसपेशियों में दर्द, थकान, स्वाद और सुगंध महसूस नहीं होना जैसे लक्षण आम थे।
काले बच्चों में संक्रमण के मामले हुए दोगुने
शोधकर्ताओं के अनुसार, संक्रमित बच्चों में 6.5 प्रतिशत काले बच्चे थे, जबकि 3.3 प्रतिशत श्वेत बच्चे थे। इसके अतिरिक्त, 4.6 प्रतिशत संक्रमित बच्चे हिस्पैनिक मूल के थे। शोधकर्ताओं का कहना है कि बच्चों में संक्रमण के बाद लक्षणों की अनुपस्थिति है। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों का समय-समय पर मूल्यांकन किया जाए, खासकर उनके स्कूल जाते समय।