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अर्थव्यवस्था: बेरोजगारी दर घटकर हुई 6.5 फीसदी, हरियाणा में सबसे ज्यादा नौकरियों की दरकार


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राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर में कमी दर्ज की गई है। फरवरी माह की बेरोजगारी दर 6.9 फीसदी की तुलना में मार्च महीने के अंत में यह 6.5 फीसदी हो गई है। शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.2 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में 6.3 फीसदी रिकॉर्ड की गई है। इसे ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि में बढ़े कामकाज और शहरी क्षेत्रों में औद्योगिक गतिविधियों के तेज होने का परिणाम माना जा रहा है।

आर्थिक विशेषज्ञों का अनुमान है कि बेरोजगारी की स्थिति में यह सुधार जारी रह सकता है, लेकिन अगर कोरोना संक्रमण की स्थिति गंभीर होती है और कुछ इलाकों में लॉकडाउन लगाने की आवश्यकता पड़ती है, तो बेरोजगारी के मोर्चे पर एक बार फिर संकट गहरा सकता है।

पिछले वर्ष कोरोना के कारण देशभर में लॉकडाउन लगाना पड़ा था और अप्रैल 2020 में बेरोजगारी दर 23.52 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी।     

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष की पहली तिमाही के अंत में राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर 6.5 फीसदी हो गई है। फरवरी माह के 6.9 फीसदी की तुलना में इसमें 0.4 फीसदी तक की कमी आई है। इस दौरान शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर ज्यादा (7.2 फीसदी) और ग्रामीण क्षेत्रों में कम (6.3 फीसदी) दर्ज की गई है।

इन राज्यों में रिकॉर्ड स्तर पर बेरोजगारी

भाजपा शासित राज्य हरियाणा में बेरोजगारी लगातार रिकॉर्ड स्तर पर बनी हुई है। मार्च महीने में हरियाणा में बेरोजगारी दर 28.1 फीसदी दर्ज की गई है। इसके बाद गोवा में 22.1 फीसदी, राजस्थान में 19.7 फीसदी, त्रिपुरा में 13.9 फीसदी, हिमाचल प्रदेश में 14.3 फीसदी, बिहार में 14.5 फीसदी, झारखंड में 12.8 फीसदी और देश की राजधानी दिल्ली में 9.4 फीसदी रिकॉर्ड की गई है।

यहां पर बेरोजगारी सबसे कम

बेरोजगारी के मामले में मध्यप्रदेश बड़ा राज्य होने के बाद भी सबसे कम बेरोजगारी वाले राज्यों में है। यहां मार्च महीने के अंत में बेरोजगारी दर केवल 1.6 फीसदी मिली है, जबकि असम में 1.1 फीसदी, गुजरात में 2.1 फीसदी, कर्नाटक 1.2 फीसदी, ओडिशा 1.6 फीसदी, सिक्किम में 1.7 फीसदी और छत्तीसगढ़ में 2.7 फीसदी पाई गई है।

कोरोना गहराया तो बढ़ सकता है संकट

देश के अनेक राज्यों में कोरोना की स्थिति फिर से गंभीर होने लगी है। महाराष्ट्र सहित कुछ राज्यों के कुछ इलाकों में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई है या इसकी तैयारी की जा रही है। अर्थशास्त्री नागेन्द्र शर्मा के अनुसार अगर कोरोना के कारण स्थिति ज्यादा गंभीर होती है तो राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर में दोबारा बढ़ोतरी हो सकती है।

पिछले वर्ष कोरोना काल में अप्रैल 2020 में बेरोजगारी दर 23.52 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई थी। इस दौरान केंद्र और राज्य सरकारों के खाद्यान्न सहायता कार्यक्रमों के जरिये ही बड़ी आबादी तक राशन की सुविधा उपलब्ध कराना संभव हो सका था।

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राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर में कमी दर्ज की गई है। फरवरी माह की बेरोजगारी दर 6.9 फीसदी की तुलना में मार्च महीने के अंत में यह 6.5 फीसदी हो गई है। शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.2 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में 6.3 फीसदी रिकॉर्ड की गई है। इसे ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि में बढ़े कामकाज और शहरी क्षेत्रों में औद्योगिक गतिविधियों के तेज होने का परिणाम माना जा रहा है।

आर्थिक विशेषज्ञों का अनुमान है कि बेरोजगारी की स्थिति में यह सुधार जारी रह सकता है, लेकिन अगर कोरोना संक्रमण की स्थिति गंभीर होती है और कुछ इलाकों में लॉकडाउन लगाने की आवश्यकता पड़ती है, तो बेरोजगारी के मोर्चे पर एक बार फिर संकट गहरा सकता है।

पिछले वर्ष कोरोना के कारण देशभर में लॉकडाउन लगाना पड़ा था और अप्रैल 2020 में बेरोजगारी दर 23.52 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी।     

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष की पहली तिमाही के अंत में राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर 6.5 फीसदी हो गई है। फरवरी माह के 6.9 फीसदी की तुलना में इसमें 0.4 फीसदी तक की कमी आई है। इस दौरान शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर ज्यादा (7.2 फीसदी) और ग्रामीण क्षेत्रों में कम (6.3 फीसदी) दर्ज की गई है।



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