Jabalpur

जबलपुर: कथोंडा गांव में छोड़ दिए गए शहर भर के कुत्ते, एक डेढ़ साल के मासूम की मौत हो गई


न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर

द्वारा प्रकाशित: सुरेंद्र जोशी
Updated Mon, Feb 15, 2021 6:58 pm IST

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मध्य प्रदेश के जबलपुर के कथोंडा गाँव में शहर भर के आवारा कुत्तों को छोड़ा जा रहा है। इन कुत्तों की वजह से गांव के बच्चों की जान खतरे में है। हद तो तब हो गई जब कुत्तों के एक समूह ने शुक्रवार को एक डेढ़ साल की मासूम बच्ची को मार डाला।

मासूम घर के बाहर खेल रहा था
घटना जबलपुर के माधोटल थाना क्षेत्र के कथोंडा गांव के निवासी सुशील श्रीवास्तव की बेटी दीपाली के साथ हुई। सुशील शुक्रवार को काम के लिए निकला था। उनकी पत्नी वर्षा श्रीवास्तव घर का काम कर रही थीं और उनका तीन साल का बेटा विवेक और बेटी दीपाली घर के बाहर खेल रहे थे। फिर कुत्तों का एक समूह इधर-उधर भटकता हुआ दिखाई दिया। जब बेटे ने उन्हें भगाने की कोशिश की, तो कुत्ते उस पर कूद पड़े। विवेक भाग गया, लेकिन निर्दोष दीपाली उन दोनों के बीच फंस गई। कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया। इसे बुरा काटो।

दो दिन के इलाज के बाद छोड़ दिया।
बेटी की चीखें सुनकर मां बाहर आई, लेकिन तब तक वह पहले ही लहूलुहान हो चुकी थी। पड़ोसियों की मदद से उसकी मां उसे अस्पताल ले गई। उनका दो दिन तक इलाज चला। शनिवार को भी ऑपरेशन किया गया था, रक्त भी दिया गया था, लेकिन दीपाली को बचाया नहीं जा सका।

कुत्ते इस वजह से हिंसक हो गए।
बेटी की मौत से दुखी होकर सुशील श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि जबलपुर नगर निगम शहर भर से कुत्तों को ला रहा है और उन्हें कठौंदा में छोड़ रहा है। यहां पर मरे हुए जानवरों को छिपाया जाता है। मरे हुए जानवरों का मांस खाने से यहां के कुत्ते ज्यादा हिंसक हो गए हैं।

मध्य प्रदेश के जबलपुर के कथोंडा गाँव में शहर भर के आवारा कुत्तों को छोड़ा जा रहा है। इन कुत्तों की वजह से गांव के बच्चों की जान खतरे में है। हद तो तब हो गई जब कुत्तों के एक समूह ने शुक्रवार को एक डेढ़ साल की मासूम बच्ची को मार डाला।

मासूम घर के बाहर खेल रहा था

घटना जबलपुर के माधोटल थाना क्षेत्र के कथोंडा गांव के निवासी सुशील श्रीवास्तव की बेटी दीपाली के साथ हुई। सुशील शुक्रवार को काम के लिए निकला था। उनकी पत्नी वर्षा श्रीवास्तव घर का काम कर रही थीं और उनका तीन साल का बेटा विवेक और बेटी दीपाली घर के बाहर खेल रहे थे। फिर कुत्तों का एक समूह इधर-उधर भटकता हुआ दिखाई दिया। जब बेटे ने उन्हें भगाने की कोशिश की, तो कुत्ते उस पर कूद पड़े। विवेक भाग गया, लेकिन निर्दोष दीपाली उन दोनों के बीच फंस गई। कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया। इसे बुरा काटो।

दो दिन के इलाज के बाद छोड़ दिया।

बेटी की चीखें सुनकर मां बाहर आई, लेकिन तब तक वह पहले ही लहूलुहान हो चुकी थी। पड़ोसियों की मदद से उसकी मां उसे अस्पताल ले गई। उनका दो दिन तक इलाज चला। शनिवार को भी ऑपरेशन किया गया, खून भी दिया गया, लेकिन दीपाली को बचाया नहीं जा सका।

कुत्ते इस वजह से हिंसक हो गए।

बेटी की मौत से दुखी होकर सुशील श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि जबलपुर नगर निगम शहर भर से कुत्तों को ला रहा है और उन्हें कठौंदा में छोड़ रहा है। यहां पर मरे हुए जानवरों की खाल उतारी जाती है। मरे हुए जानवरों का मांस खाने से यहां के कुत्ते ज्यादा हिंसक हो गए हैं।





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